शादी के आठ साल बाद पति बोला ट्रांसजेंडर है मेरी पत्नी

हाईकोर्ट ने कहा- कराई जा सकती है जांच


अपनी शादी के आठ साल बाद एक पति ने अपनी पत्नी के लिंग पर शक जाहिर करते हुए कहा कि वह ट्रांसजेंडर है। मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो उन्होंने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बेशक जेंडर पूर्णत: निजी मामला है, लेकिन वैवाहिक विवाद में दूसरे पक्ष का भी हित शामिल होता है। लिहाजा, अदालत द्वारा मेडिकल जांच का आदेश दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ पत्नी की जांच के संबंध में फैमिली कोर्ट द्वारा पारित पूर्व आदेश पर मोहर लगा दी। मामला पति द्वारा पत्नी के जेंडर को लेकर सवालिया निशान लगाए जाने से संबंधित था। विशेषज्ञ महिला डॉक्टर से जांच के निर्देश को चुनौती- एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसके जरिए उसके जेंडर की जांच की मांग मंजूर कर ली गई है। फैमिली कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में महिला के जेंडर की जांच किसी विशेषज्ञ महिला डॉक्टर से कराए जाने की व्यवस्था दी है। यह मामला महिला की ओर से फैमिली कोर्ट में वैवाहिक अधिकार दिलाए जाने की मांग की याचिका से संबंधित था। जब महिला की याचिका फैमिली कोर्ट में विचाराधीन थी, तभी उसके पति ने सीपीसी की धारा-151 के तहत एक आवेदन प्रस्तुत कर दिया। जिसके जरिए उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है। उसमें नारी-सुलभ गुणों का अभाव है। उसके शारीरिक लक्षण स्त्री नहीं बल्कि पुरुष से परिपूर्ण हैं। वह नाजुकी के बदले मर्दाना अंदाज में दबाव बनाती है।
 हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगाया। महिला के वकील ने दलील दी कि शादी के आठ साल गुजरने के बाद पति अपनी ही पत्नी के जेंडर को कठघरे में खड़ा कर रहा है। बावजूद इसके कि दोनों के बीच कई बार पति-पत्नी के बीच स्थापित होने वाले संबंध बने। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के पूर्व आदेश को उचित ठहराते हुए जेंडर जांच को हरीझंडी दे दी। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि जांच के बाद सच्चाई सामने क्या आती है, इसका सभी को इंतजार है।